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Santh Shree Murlidhar Ji Vaishnav

12 अक्टू॰ 2013

जन जन की आस्था का केंद्र मरमी माता शक्तिपीठ - सतीश शर्मा,

                              जन जन की आस्था का केंद्र मरमी माता शक्तिपीठ 
 उदयपुर।  संभाग के चित्तौडग़ढ़ जिले के राशमी उपखण्ड मुख्यालय से १० किलोमीटर दुर उत्तर दिशा में राशमी - भीलवाड़ा वाया हमीरगढ़ मार्ग पर बनास नदी तट के निकट वट वृक्षों की सघनता के बीच स्थित मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार मरमी माता शक्तिपीठ जन जन की आस्था एवं अटूट विश्वास का केन्द्र बन गया हैं। यहां रविवार को माता की विशेष आराधना का मुख्य दिन माना गया जाता हैं। रावणा राजपूत समाज की ओर से माता चामुण्डा का भव्य मन्दिर बनाया गया हैं।

 यहां आचार्य ब्राह्मण,पारिक ब्राह्मण, रावणा राजपूत,अहीर,जाट,जीनगर,बैरवा,गाडरी समाज सहित सभी समाज की कई धर्मशालाएं बनी हुई हैं। शक्तिपीठ की आबोहवा में असाध्य रोगों से छुटकारा दिलाने एवं शारीरिक विकलांगता दुर करने जैसी मान्याता के चलते यहां दुर - दुर से पीडि़त लोग स्वास्थ्य लाभ लेने मरमी माता के दरबार में आते हैं तथा स्वस्थ होकर अपने घर प्रस्थान करते हैं। 

ग्रामीणों की मान्यता हैं कि माता के दर मन्नत लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना अवश्य पूरी होती हैं। शक्तिपीठ पर प्रतिवर्ष मेवाड़ , मालवा, हाड़ौती अचंल के साथ ही जयपुर, मुम्बई आदि शहरों से हजारों श्रद्धालु मन्नते मांगने एवं मन्नत पूरी होने की खुशी में यहां आते हैं। मरमी माता में प्रतिदिन प्रात:, दोपहर एवं शाम को आरती होती हैं। शक्तिपीठ पर विकास कार्यो के लिए मरमी माता विकास ट्रस्ट बना हुआ हैं। शारदीय नवरात्रा में यहां तीन दिवसीय विशाल दशहरा मेला लगता हैं।









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