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Santh Shree Murlidhar Ji Vaishnav

16 मई 2013

सैकडों नवयुगलों ने की नवजीवन की शुरूआत परिणय सूत्र में बंधे , मुख्यमंत्री कन्यादान की जगह सामूहिक विवाह पर आयोजकों ने किया फोकस - डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

दमोह मध्यप्रदेश - कन्यादान का महत्व शास्त्रों में  सबसे अधिक बतलाया गया है धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार कन्यादान को आश्ववमेघ यज्ञ से भी अधिक माना गया है कहा गया है ऐसे ही लाखों यज्ञों को सम्पन्न कराने का बीडा उठाया प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिनकी अनोखी योजना का लाभ उठाते हुये बाबूल अपनी लाडली को हंसी खुशी बिदा कर रहे हैं। विशव  की अनोखी  योजना के तहत प्रतिबर्ष परिणय सूत्र में बंधने वाली कन्याओं की संख्या लगातार बढ रही है। ज्ञात हो कि गरीबी के चलते न जाने कितनी कन्याओं को उनके माता पिता विवाह के बंधन में नही  बांध पाते थे । इसी योजना के तहत जिला मुख्यालय पर आयोजित एक समारोह में एक हजार से अधिक और ग्यारह सौ से कम नवयुगलाें ने अपने वैवाहिक जीवन की शुरूआत की। विदित हो कि  विशाल आयोजन को सम्पन्न बनाने में जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्ट्रर स्वतंत्र कुमार सिंह एवं उनके अधिनस्थ अधिकारी कर्मचारियों ने शासन द्वारा निर्धारित मानदण्डों के आधार पर जिले भर के पात्र हितग्राहियों को चयनित ही नही  किया अपितु यहां तक पहुंचाने का बीडा भी उठाया। इस अवसर पर स्थानीय विधायक एवं प्रदेश के मंत्री जयंत मलैया ने सपतिनक दलित और अपंग जोडे के हाथ पीले किये तो वही  पथरिया विधायक एवं  मंत्री डा.राम कृष्ण कुसमरिया ने भी बुंदेलखण्ड की परंपरा का पालन करते हुये वर-वधु के पैरों को पूजा वही  क्षेत्रीय सांसद ,जबेरा तथा हटा विधायक ने भी कन्यादान किया। 
 यह हुये लाभांवित-प्राप्त जानकारी के अनुसार  अनोखी योजना के तहत 17 ऐसे जो़डे थे जिनमें या तो वधु या वर दोनो  में से कोई  एक विकलांगता का शिकार है या कुछ ऐसे भी जो़डे थे जिनमें दोना वर-वधु विकलांग है। इनको शासन की ओर से नि: शुल्क  जन विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत 12 को 25-25 हजार रूपये और पाँच ऐसे दमपति  जिनमें वर-वधु दोनो  विकलांग है प्रत्येक जो़डे को 50-50 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि के चेक भेंट किये। वही  दूसरी ओर 34 र्इस्लाम धर्म के मानने वाले जोडों ने निकाह कबूल किया।  योजना का दायित्व जिस विाग के कंधे पर है से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक हजार से अधिक परन्तु ग्यारह सौ से कम विवाह सम्पन्न हुये।
 
योजना की जगह सामूहिक विवाह -उä आयोजन के दौरान लगे बैनर पोस्टरों यहां तक कि गले में लटकाने वाले परिचय पत्रों की चर्चा जमकर सुनी गयी। विदित हो कि इनमें मुख्यमंत्री कन्यादान योजना को बहुत ही छोटे अक्षरों में अंकित किया गया था जबकि सामूहिक विवाह पर यादा फोकस रहा । यही हाल मुख्यमंत्री के चित्र को लेकर सुनी गयी। छोटे-छोटे आयोजनों में भी शासन की योजनाओं की जानकारी बेनर पोस्टरों के अलावा प्रचार सामग्री का वितरण टेंट लगाकर करने वाले जनसंपर्क विभाग की प्रदर्शनी भी नदारत दिखी। जानकारों की माने तो जिले के साथ ही अन्य जिलों से आये हुये हजारों लोगों को योजनाओं की जानकारी का लाभ दिलाया जा सकता था। वही  पूरे क्षेत्र में  योजना को फोकस करने की जगह क्या हुआ किस पर फोकस हुआ यह जमकर चर्चाओं में बना रहा जो आज भी सुना जा रहा है। 

अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक की जलकिया ।

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