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Santh Shree Murlidhar Ji Vaishnav

7 अग॰ 2015

अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ के आव्हान समाज जन राजस्थान व मध्यप्रदेश ज्ञापन दिया पुजारियों की समस्याओं,देव स्थानों के विकास की मांग ।


राजस्थान  में पुजारी महासभा , वैष्णव युवा परिषद्  , विकास परिषद्  ने  दिया  समर्थन 
मंदिरों के सरकारी करण का किया विरोध,सरकार की मंशा पर उठे सवाल
 


अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण  सेवा संघ के द्वारा पुजारियों की समस्याओं के निराकरण तथा देव स्थानों के विकास की मांग को लेकर सरकार के सामने अपनी बात को प्रमाण एवं तथ्यों के साथ रखने का क्रम जारी है। सम्पूर्ण देश में एक साथ आवाज को उठाने का कार्य करने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश जी वैष्णव के कुशल मार्गदर्शन में एक साथ मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन संघ के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम जिले के कलेक्ट्ररों को ज्ञापन के माध्यम से समस्याओं एवं भावनाओं से अवगत करा निराकरण की मांग की है। इसी क्रम में प्रदेश के दमोह जिले में प्रदेश उपाध्यक्ष पं.डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव के नेतृत्व में एक ज्ञापन अनुविभागीय दण्डाधिकारी राकेश कुशरे एवं तहसीलदार मनोज श्रीवास्तव को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि देश के अस्सी प्रतिशत मंदिरों में पुजारी वैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज के हैं जो कि मंदिरों के सरकारी करण की नीति से त्रस्त हैं। प्रदेश सरकार द्वारा मंदिरों को सरकारी करण के शिकंजे में कसने से धर्म पर आक्रमण करने की बात सामने आ रही है। देश में हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष शासन तंत्र एवं सर्वधर्म समभाव की अनुमति देता है एैसे में केवल हिन्दुधर्म के और उसमें भी सनातन धर्म के देव स्थानों का सरकारीकरण असंवैधानिक है एवं प्रदेश सरकार का धर्मस्व विभाग एवं उसकी कार्यवाहियां विचारणीय हो जाती हैं।  
शस्त्र एवं शास्त्र लेकर की धर्म रक्षा -
देश में जब हिन्दुओं पर आक्रमण किया गया सनातन धर्म को कुचलने का प्रयास किया गया ,धार्मिक प्रतीक मंदिरों को तोडा गया तो वैष्णव बैरागी ब्राम्हणों ने आक्रांताओं को कुचलने का कार्य किया एक साथ में शस्त्र तो दूसरे में शास्त्र उठाया। पंजाब,हरियाणा के बंदा बैरागी का नाम कौन नहीं जानता उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के रामानंदी अखाडे इस बात का प्रमाण हैं। देश की आजादी में प्रथम संयासी क्रांति को कौन नहीं जानता आज का पुजारी समाज इन्ही धर्म सुरक्षा सैनानियों का वंशज है। इनके पूर्वजों ने अपने-अपने स्तर पर धर्म प्रतीक मंदिरों को बनाकर हिन्दु सनातन धर्म को सुरक्षित रखा। आक्रांता जब एक मंदिर तोडते थे यह दस बनाते थे छोटे मंदिर,बिना शिखर वाले मंदिर (शाला मंदिर),ओटला मंदिर एवं वृक्षस्थ मंदिर आदि इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं,इनका सरकारीकरण अवैध है। 
मान.सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय ने भी नकारा-
विदित हो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने निजि मंदिरों के सरकारीकरण को नकारा है। तथा इन निजि मंदिरों एवं उनकी भूमियों को कलेक्ट्रर की व्यवस्था में देने एवं पुजारियों के हितों के विरूद्ध की गयी कार्यवाहीयों को भी नकारते हुये अवैध घोषित किया है।
प्रदेश सरकार की बेबसाईट से जाहिर होती मंशा-
मध्यप्रदेश सरकार की धर्मस्व विभाग की बेबसाईट पर नजर डालें तो सरकार की मंशा एवं माननीय न्यायालय की अवमानना की जानकारी सामने आने लगती है। विगत दस बर्षों से इस सरकारीकरण की असलियत को सामने लाती उक्त बेबसाईट में लिखा है कि जहां कहीं भू-अभिलेख (पटवारी खसरा जो स्वत्व का प्रमाण होता है)में मंदिर मूर्ति अंकित है वहां व्यवस्थापक कलेक्ट्रर अंकित कर मंदिर व भूमि को शासन संधारित मंदिरों की श्रेणी में रखकर उसे सरकारी बना दिया गया है। जबकि कार्यवाही तथा निजि मंदिरों एवं भूमि उनकी सम्पत्तियों का मनमाना सरकारीकरण पूर्णत:अवैध होने संबधी अनेकों आदेश मान.उच्च न्यायालय द्वारा किये गये हैं।
प्रदेश में  इनके  नेतृत्व  में  दिया  ज्ञापन - राजस्थान  में  प्रदेश  अध्यक्ष  डी.सी.वी. किरण , युवा  अध्यक्ष  राजेश  वैष्णव  , मध्यप्रदेश  में  ओ.पी. बैरागी  राष्ट्रीय  अतिरिक्त  महासचिव  ,  घनश्याम  वैष्णव  प्रदेश अध्यक्ष  , महेश बैरागी  राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष  युवा  सेवा  संघ  ,   
 यह रहे प्रमुख रूप से उपस्थित - इस अवसर पर प.कडोरीदास बैरागी,पं.विनोद शांडिल्य,पं.बृजमोहन दीक्षित,पं.रजतदास वैष्णव,प्रकाश वैष्णव,रामेश्वरदास बैरागी,अरूण दीक्षित,महेश वैष्णव,अशोकदुबे सहित बडी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।
 अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण  सेवा संघ के आव्हान  समाज जन  राजस्थान  व  मध्यप्रदेश  ज्ञापन दिया  पुजारियों की समस्याओं,देव स्थानों के विकास की मांग । 
राजस्थान  में पुजारी महासभा , वैष्णव युवा परिषद्  , विकास परिषद्  ने  दिया  समर्थन 
 मंदिरों के सरकारी करण का किया विरोध,सरकार की मंशा पर उठे सवाल
 दमोह -  अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण  सेवा संघ के द्वारा पुजारियों की समस्याओं के निराकरण तथा देव स्थानों के विकास की मांग को लेकर सरकार के सामने अपनी बात को प्रमाण एवं तथ्यों के साथ रखने का क्रम जारी है। सम्पूर्ण देश में एक साथ आवाज को उठाने का कार्य करने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष सतीश जी वैष्णव के कुशल मार्गदर्शन में एक साथ मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के प्रत्येक जिला मुख्यालयों पर ज्ञापन संघ के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम जिले के कलेक्ट्ररों को ज्ञापन के माध्यम से समस्याओं एवं भावनाओं से अवगत करा निराकरण की मांग की है। इसी क्रम में प्रदेश के दमोह जिले में प्रदेश उपाध्यक्ष पं.डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव के नेतृत्व में एक ज्ञापन अनुविभागीय दण्डाधिकारी राकेश कुशरे एवं तहसीलदार मनोज श्रीवास्तव को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि देश के अस्सी प्रतिशत मंदिरों में पुजारी वैष्णव बैरागी ब्राम्हण समाज के हैं जो कि मंदिरों के सरकारी करण की नीति से त्रस्त हैं। प्रदेश सरकार द्वारा मंदिरों को सरकारी करण के शिकंजे में कसने से धर्म पर आक्रमण करने की बात सामने आ रही है। देश में हमारा संविधान धर्म निरपेक्ष शासन तंत्र एवं सर्वधर्म समभाव की अनुमति देता है एैसे में केवल हिन्दुधर्म के और उसमें भी सनातन धर्म के देव स्थानों का सरकारीकरण असंवैधानिक है एवं प्रदेश सरकार का धर्मस्व विभाग एवं उसकी कार्यवाहियां विचारणीय हो जाती हैं।  
शस्त्र एवं शास्त्र लेकर की धर्म रक्षा -
देश में जब हिन्दुओं पर आक्रमण किया गया सनातन धर्म को कुचलने का प्रयास किया गया ,धार्मिक प्रतीक मंदिरों को तोडा गया तो वैष्णव बैरागी ब्राम्हणों ने आक्रांताओं को कुचलने का कार्य किया एक साथ में शस्त्र तो दूसरे में शास्त्र उठाया। पंजाब,हरियाणा के बंदा बैरागी का नाम कौन नहीं जानता उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के रामानंदी अखाडे इस बात का प्रमाण हैं। देश की आजादी में प्रथम संयासी क्रांति को कौन नहीं जानता आज का पुजारी समाज इन्ही धर्म सुरक्षा सैनानियों का वंशज है। इनके पूर्वजों ने अपने-अपने स्तर पर धर्म प्रतीक मंदिरों को बनाकर हिन्दु सनातन धर्म को सुरक्षित रखा। आक्रांता जब एक मंदिर तोडते थे यह दस बनाते थे छोटे मंदिर,बिना शिखर वाले मंदिर (शाला मंदिर),ओटला मंदिर एवं वृक्षस्थ मंदिर आदि इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं,इनका सरकारीकरण अवैध है। 
मान.सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय ने भी नकारा-
विदित हो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने निजि मंदिरों के सरकारीकरण को नकारा है। तथा इन निजि मंदिरों एवं उनकी भूमियों को कलेक्ट्रर की व्यवस्था में देने एवं पुजारियों के हितों के विरूद्ध की गयी कार्यवाहीयों को भी नकारते हुये अवैध घोषित किया है।
प्रदेश सरकार की बेबसाईट से जाहिर होती मंशा-
मध्यप्रदेश सरकार की धर्मस्व विभाग की बेबसाईट पर नजर डालें तो सरकार की मंशा एवं माननीय न्यायालय की अवमानना की जानकारी सामने आने लगती है। विगत दस बर्षों से इस सरकारीकरण की असलियत को सामने लाती उक्त बेबसाईट में लिखा है कि जहां कहीं भू-अभिलेख (पटवारी खसरा जो स्वत्व का प्रमाण होता है)में मंदिर मूर्ति अंकित है वहां व्यवस्थापक कलेक्ट्रर अंकित कर मंदिर व भूमि को शासन संधारित मंदिरों की श्रेणी में रखकर उसे सरकारी बना दिया गया है। जबकि कार्यवाही तथा निजि मंदिरों एवं भूमि उनकी सम्पत्तियों का मनमाना सरकारीकरण पूर्णत:अवैध होने संबधी अनेकों आदेश मान.उच्च न्यायालय द्वारा किये गये हैं।
प्रदेश में  इनके  नेतृत्व  में  दिया  ज्ञापन - राजस्थान  में  प्रदेश  अध्यक्ष  डी.सी.वी. किरण , युवा  अध्यक्ष  राजेश  वैष्णव  , मध्यप्रदेश  में  ओ.पी. बैरागी  राष्ट्रीय  अतिरिक्त  महासचिव  ,  घनश्याम  वैष्णव  प्रदेश अध्यक्ष  , महेश बैरागी  राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष  युवा  सेवा  संघ  ,   
  दमोह - 

यह रहे प्रमुख रूप से उपस्थित-इस अवसर पर प.कडोरीदास बैरागी,पं.विनोद शांडिल्य,पं.बृजमोहन दीक्षित,पं.रजतदास वैष्णव,प्रकाश वैष्णव,रामेश्वरदास बैरागी,अरूण दीक्षित,महेश वैष्णव,अशोकदुबे सहित बडी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।

अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक की जलकिया ।

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