श्री बालकवि बैरागी जी से आत्मीय मुलाकात, साहित्य चर्चा, श्री भरतचन्द्र शर्मा की काव्यकृति का विमोचन
साहित्य जगत के प्रसिद्ध हस्ताक्षर श्री बालकवि बैरागी जी के मनासा(मध्यप्रदेश) स्थित निवास पर साहित्यिक चर्चा। श्री बैरागी जी ने जीवन यात्रा, अनुभवों और गहन साहित्यिक विषयों व साहित्य तथा साहित्यकारों से जुड़े सम सामयिक सरोकारों पर बेबाक और सारगर्भित बातें प्रकट कर सभी साहित्यकारों को मुग्ध कर दिया। चर्चा में मौजूद थे प्रसिद्ध लेखक डॉ. पूरण सहगल (नीमच), मशहूर गीतकार श्री हरीश व्यास (प्रतापगढ़), जाने-माने व्यंग्य लेखक श्री भरतचन्द्र शर्मा एवं ख्यातनाम शायर घनश्याम नूर (बांसवाड़ा) तथा अन्य। कार्यक्रम में वागड़, काँठल और मेवाड़ के साहित्यकारों की ओर से श्री बालकवि बैरागी का स्वागत किया गया और उनकी बांसवाड़ा यात्रा की प्रमुख घटनाओं के बारे में चर्चा भी की गई। श्री बैरागी ने इस दौरान श्री भरतचन्द्र शर्मा की काव्यकृति ‘सुनो पार्थ !’ का विमोचन भी किया। इस दौरान श्री भरतचन्द्र शर्मा ने श्री बैरागी को बांसवाड़ा की संस्था दीप शिखा साहित्य संगम द्वारा श्री मणि बावरा एवं श्री भरत शर्मा के संयुक्त संपादन में प्रकाशित तथा फरवरी 1988 में पूर्व मुख्यमंत्री श्री हरिदेव जोशी द्वारा विमोचित काव्यसंग्रह ‘ शेष यात्राएँ’ की प्रति भेंट की।
Posted in: