जनप्रतिनिधियों सहित शासन प्रशासन बन रहे धृतराष्ट्र |
भोपाल/ घटते मैदानों तथा विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पडे इसके लिये लोगों ने शादी,विवाह तथा विभिन्न प्रकार के आयोजनों के लिये एैसे स्थानों का चुनाव करना प्रारंभ किया जहां वह निर्विध्न रूप से आयोजनों को सपन्न करा सकें परन्तु क्या उनकी समस्याओं का समाधान उस हद तक हो पा रहा है जैसा वह चाहते या सोचते हैं? इसका उत्तर भले ही आपकी प्राथमिक नजर में कुछ हद तक हां हो और कुछ हद तक न हो परन्तु वास्तविक रूप में देंखेें तो आयोजकों सहित सम्मिलित लोंगों की जिन्दगी सुरक्षित नहीं कही जा सकती है। जिसकी न तो फिक्र बारात घर एवं मैरिज गार्डन के संचालकों को दिखलायी देती है और न ही प्रशासन सहित संबधित विभाग को वहीं अगर बात करें जनप्रतिनिधियों की तो वह भी पूरी तरह अंजान दिखलायी देते हैं। अगर खामियों की कोई चर्चा करे तो भी एक रटा रटाया जबाब मिलता है कि हादसा हुआ तो नहीं न अगर हो जाये तो बात करना? मतलब जब कुछ हो जायेगा तो सामाधान निकाला जायेगा । लेकिन पूर्व से बने नियमों का भी पालन नहीं कराया जायेगा और न ही हादसों को रोकने के लिये प्रयास किया जायेगा। हम बात कर रहे हैं संचालित बारात घरों एवं मैरिज गार्डनों की जहां लोगों की जिन्दगी पर खतरा मडराता आसानी से देखा जा सकता है परन्तु जिनके कंधों पर जबाबदारी है वह या तो अंजान बने हुये हैं या फिर अनदेखी कर रहे हैं। बतलाया जाता है कि इनके संचालकों में अधिकांश लोगो के सत्तारूढ दल के नेताओं से घनिष्ठ संबध हैं तथा कुछ तो नेता ही है ? मध्यप्रदेश के अनेक जिलों में इस प्रकार की अनदेखी होते आसानी से देखी जा सकती है? उक्त लापरवाही किसी बडी दुर्घटना को आमंत्रित करने की ओर ईशारा करती है?
हादसों को रोकने के लिये नहीं इंतजाम ,क्या होने का इंतजार |
प्रदेश के अनेक जिलों में किसी बडी दुर्घटनाओं को आमंत्रण |

कभी भी हो सकता है हादसा-
सूत्रों की माने तो उक्त बारात घरों एवं मैरिज गार्डनों में कभी भी किसी प्रकार की दुर्घटना घट सकती है जिसमें धन के साथ जनहानि होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। यहां होने वाले आयोजनों में आने वाली भारी भीड इसका शिकार हो सकती है। वहीं अनेक तो एैसे हैं जहां दुर्घटनाओं से निपटने के लिये किसी भी प्रकार की तैयारी नहीं है तो अनेक जगहों पर किसी प्रकार से भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं हैं । जानकारों की माने तो उक्त लापरवाही के चलते कभी हादसा हो सकता है तथा जब तक उसको रोका जायेगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी क्योंकि निपटने के निर्धारित उपाय एवं सामग्री जब वहां उपलब्ध ही नहीं है तो एैसा तो होना ही है।
क्या कहते हैं नियम
1. विद्युत की हाइटेंशन लाइन कम से कम 5 मीटर की दूरी पर हो।
2. बारात घर में 10 हजार लीटर पानी का भंडारण अनिवार्य है।
3. पांडाल में सिंथेटिक कपड़ा पूर्णत:वर्जित है यहां पर सिर्फ सूती कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए।
4. नायलोन की रस्सी से बांधना पूर्णत:प्रतिबंधित है।
5. किचन शेड कपड़े का नहीं टीन का होना चाहिए।
6. किचन शेड के पासं रेत भरी बाल्टियां रखने के साथ ही फायर सेफ्टी सिस्टम और फस्र्ट एड बाक्स जरूरी।
7. प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग द्वार हों। उनकी साइज भी क्षमता के अनुरूप होनी चाहिए।
8. पार्किंग की समुचित व्यवस्था हो।