10 करोड का था लक्ष्य खाते खोले गये 11.5 करोड
गिनीज बुक में दर्ज होने की तैयारी में प्रधानमंत्री जनधन योजना
घोषणा नहीं अपितु संकल्प को कार्य में परिर्णित कर समय सीमा में लक्ष्य को पार करने के साथ विश्व में अपना एक अलग स्थान बनाने जा रही है भारत सरकार की एक अनोखी योजना जो गिनीज बुक में दर्ज होने की स्थिति में पहुंच चुकी है। सूत्रों एवं जानकारों की माने तो वह दिन जल्द ही आने वाला है जिसमें भारत की प्रधान मंत्री जन-धन योजना का नाम सम्मिलित हो जायेगा। विदित हो कि देश की आजादी के पर्व 15 अगस्त 2014 को भारत के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से वित्तीय समावेशी योजना की घोषणा की थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 26 जनवरी 2015 तक 7.5 करोड़ गरीब नागरिकों के बैंक एकाउंट खोलने का लक्ष्य तय किया गया था जो कुछ समय बाद 10 करोड के लक्ष्य में परिवर्तित कर दिया गया था। वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा उक्त योजना की प्रगति के संबध में जो जानकारी रखी गयी वह निश्चित रूप से भारत सरकार के लिये प्रसन्नता दायक कही जा सकती है। इनके अनुसार प्रधानमंत्री जन-धन योजना के 11.5 करोड एकाउंट खुल चुके हैं। देखा जाये तो लक्ष्य से 1.5 करोड अधिक जानकारों के अनुसार भारत के 99.74 प्रतिशत परिवार को बैंक सुविधा के दायरे में आ चुके हैं। बतलाया जाता है कि लगभग नो करोड रूपये उक्त खातों में सरकार द्वारा जमा भी करा दिये हैं।

गिनीज बुक और प्रधानमंत्री जन-धन-
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना(पीएमजेडीवाई) के तहत हासिल उपलब्धि को पहचानते हुये कार्यवाही प्रारंभ करने के संबध में जानकारी प्राप्त हुई है। ज्ञात हो कि वित्तीय समावेशी अभियान के तहत किसी मात्र एक सप्ताह में ही रिकार्ड खातों को खोलना निश्चित रूप से किसी चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता । प्राप्त जानकारी के अनुसार गत 23 अगस्त से 29 अगस्त 2014 के मध्य 18,096,130 करोड़ बैंक एकाउंटों को खोल दिया गया था। जानकारों की माने तो योजना की घोषणा से लेकर अब तक जो खाते खुले हैं उनमें 60 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 40 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों के बतलाये जाते हैं। जिसमें महिला खाताधारकों की हिस्सेदारी करीब 51 प्रतिशत बतलायी जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पीएमजेडीवाई के तहत 9.11 करोड़ खाते खोले हैं । जबकि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 2.01 करोड़ तो निजी क्षेत्र के 13 बैंकों ने केवल 37.58 लाख खाते खोलने का कार्य किया है।