नरेगा के तहत स्थाई परिसम्मपति निर्माण में मध्यप्रदेश अब्बल |

दिल्ली/ वह अब मजदूर नहीं अपितु मालिक बन गये हैं,वह काम मांगते नहीं अपितु स्थानीय कुछ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने लगे हैं जी हां यह कोई कहानी नहीं अपितु एक सच्चाई है। कभी मजदूरी की मांग करने वाले तथा अब मालिक बनने वाले एैसे लोगों की संख्या पर नजर डालें तो देश में 4 लाख 78 हजार 509 बतलायी जाती है। वहीं मध्यप्रदेश भारत के अन्य प्रांतों की संख्या में प्रथम पायदान पर खडा दिखलायी देता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना मनरेगा के तहत कराये गये स्थायी परिसम्मपत्तियों के निर्माण से यह सब संभव हुआ। इस बात का उदाहरण मध्यप्रदेश में हुई स्थायी परिसम्मपत्तियों के निर्माण तथा संबधित विभाग की बेबसाईड पर उपलब्ध जानकारी स्वयं प्रमाणित करती देखी जा सकती है। ज्ञात हो कि इस संबध में प्रदेश सरकार को सम्मानित भी किया जा चुका है।
भारत सरकार के संबधित विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश में 1 लाख 95 हजार 540,उत्तर प्रदेश 77 हजार 410,कर्नाटक 56 हजार 615,आन्ध्रप्रदेश 38 हजार 143, राजस्थान 32 हजार 489,वेस्ट बंगाल 24 हजार 371,छत्तीसगढ 23 हजार 594,झारखंड 22 हजार 784,उडिसा 18 हजार 542,गुजरात 16 हजार 378,तेलंगाना 15 हजार 266,बिहार 11 हजार 663,केरला 10 हजार 843,हिमाचल प्रदेश 8 हजार 320,असाम 7 हजार 931,तमिलनाडू 3 हजार 851,उत्तराखंड 265,हरियाणा 240,जम्मू कश्मीर 185,अण्डमान निकोबार 44,तिरपुरा 17,मंडीपुर 09,सिक्किम 09,गोवा 04,मेघालय 01,मिजोरम 01 मजदूर अब मालिक बन चुके हैं। वहीं शेष राज्यों एक भी मजदूर का मालिक नहीं बनने की जानकारी प्राप्त हुई है।
किस राज्य में कितने बने मालिक-
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में अलीराजपुर 2429,अनुपपुर 1471,अशोकनगर 336,बालाघाट 4807,बडवानी 2684,बेतूल 2529,भिंड 373,भोपाल 1060,बुरहानपुर 589,छतरपुर 2122,छिंदवाडा 4662,दमोह 3209,दतिया 785,देवास 2938,धार 5313,डिंंडोरी 1813,गुना 972,ग्वालियर 1558,हरदा 409,होशंगावाद 437,इंदौर 401,जबलपुर 441,झाबुआ 3997,कटनी 2164,खंडवा 4873,खरगौन 2439,मंडला 5159,मंदसौर 2853,मुरैना 4645,नरसिंहपुर 331,नीमच 1938,पन्ना 2503,रायसेन 1010,राजगढ 3768,रतलाम 2618,रीवा 1626,सागर 1848,सतना 5991,सीहोर 2866,सिवनी 2320,शहडोल 947,शाजापुर 1037,श्योपुर 742,शिवपुरी 2421,सीधी 3294,सिंगरोली 901,टीकमगढ 1731,उज्जैन 1375,उमरिया 2517 एवं विदिशा में 993 श्रमिकों की आर्थिक स्थिति मनरेगा योजना के तहत चलने वाली हितग्राही मूलक के कारण सुदृढ होने पर वह अब अपना स्वयं का कार्य करने लगे हैं।
संचालित योजनायें-
मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं पर नजर डालें तो इनकी संख्या 16 बतलायी जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कपिलधारा,नंदन फल उद्यान,मेड बंधान,ग्रामीण शांतिवन,ग्रामीण क्रीडाकंन,पंचायत भवन,आंगनबाडी भवन,शैलपर्ण,पथ वृक्षारोपण,ग्राम वन,मिट्टी मुरमीकरण, सीसी रोड,पशु शेड,खेत तालाब,नवीन तालाब एवं निर्मल नीर जैसी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
नमों की नजर और कसाबट-
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर एवं कसावट से लगातार उक्त महत्वपूर्ण योजना में पारदर्शिता के साथ अधिक मजबूत होने की स्थिति निर्मित होने लगी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में 2500 जनपद पंचायतें आईपीपीई के तहत कार्य करेंगी,जिनमें मध्यप्रदेश की 180 जनपदों को भी उक्त योजना से जोडा गया है। बतलाया जाता है कि पायलट प्रोजक्ट के रूप में उक्त जनपदों को आईपीपीई में जोडा गया है। उक्त कार्य से जहां विरोधियों द्वारा लगातार मनरेगा को बंद करने की केन्द्र सरकार की योजना जैसे भ्रम एवं प्रश्रों पर विराम लग रहा है तो वहीं आईपीपीई के दायरे में आने से मनरेगा में अधिक पारदर्शिता आने का संकेत माना जा रहा है। आईपीपीई अर्थात् सघन,सहभागी,न्योजन योजना में मोबाईल मानिटरिंग सिस्टम लागू होगा। कार्य स्थल से ही लाईव डाटा के साथ ही रियल टाईम आन लाईन डाटावेश उपलब्ध होगा। वहीं परिसम्पत्तियों निर्माण कार्यों का सत्यापन एवं लोकेशन जीओ टेगिंग के माध्यम से उपलब्ध रहेगा। जानकार बतलाते हैं कि उक्त योजना के लागू होने से ईलेक्ट्रानिक मेजरमेंट होगा जबकि पूर्व में इन पंचायत मेनुअल मेजरमेंट होता था। इसमें फोटो भी अपलोडिंग साईड यनि कार्य स्थल से ही होगी। विभागीय सूत्रों की माने तो उक्त निर्देश के पालन में विभाग ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है।