हरियाणा के कुरुक्षेत्र इलाके में सैकड़ों वर्ष पुराने एक वटवृक्ष को वन विभाग के विशेषज्ञों ने पुनर्जीवित करने का उपाय खोज लिया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी वटवृक्ष के नीचे अर्जुन को गीता का महान उपदेश दिया था।
देहरादून स्थित 107 वर्ष पुराने फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) के रोग विज्ञानियों एवं वनस्पतिशास्त्रियों ने ज्योतिसार स्थित इस पवित्र वटवृक्ष को पुनर्जीवित करने की अंतिम रूपरेखा बना ली है। इससे पहले विशेषज्ञों का यह दल गया के महाबोधि मंदिर, महाराष्ट्र के शिरडी साई बाबा मंदिर तथा कंबोडिया के ता प्रोह्म मंदिरों में स्थित पवित्र वृक्षों को पुनर्जीवित करने का कार्य कर चुका है।
एफआरआई के निदेशक पी. पी. भोजवैद ने आईएएनएस से कहा, "कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अनुरोध पर हमारी टीम ने वहां जाकर उस स्थल का मुआयना किया तथा वटवृक्ष को पुनर्जीवित करने का खाका तैयार किया।"
केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन चलने वाले एफआरआई में वन रोगविज्ञान विभाग के अध्यक्ष एन. एस. के. हर्ष के अनुसार दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर ज्योतिसार स्थित इस वट-वृक्ष की खस्ता हालत के पीछे सबसे बड़ा कारण उसकी जड़ों के इर्द-गिर्द संगमरमर द्वारा किया गया निर्माण है।
भोजवैद ने बताया कि उन्होंने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी है कि वट वृक्ष की जड़ों को फैलने की जगह न मिलने के कारण ही वृक्ष के अस्तित्व पर संकट है।एक तालाब के किनारे खड़े इस वृक्ष के आस-पास 'प्रकाश एवं ध्वनि कार्यक्रम' के अंतर्गत वृक्ष की शाखाओं पर लिपटे तार, स्पीकर तथा लाइटों के कारण भी वृक्ष की हालत खराब हो रही है।
हर्ष आगे बताते हैं कि वृक्ष की शाखाओं पर श्रद्धालुओं द्वारा धातु की सीकड़ें, घंटियां एवं साइनबोर्ड बांधे जाने के कारण भी वृक्ष को क्षति पहुंच रही है। वृक्ष की शाखाओं से हवा में लटकती जड़ों तथा छाल को तोड़ने और विवेकहीन श्रद्धालुओं द्वारा पेड़ पर नाम कुरेदने के कारण भी इस वट-वृक्ष की हालत खस्ता हो रही है।
अब हालांकि इस जीर्ण वटवृक्ष की हालत सुधारने के लिए जल्द ही राहत कार्य शुरू किए जा सकते हैं। वटवृक्ष को ढंकने के लिए लगाए गए छत्र के कारण वृक्ष एक तरफ को झुक गया है।
वट-वृक्ष को पुनर्जीवित करने की योजना के बारे में हर्ष आईएएनएस को बताते हैं कि वृक्ष को सूक्ष्म पोषक उपचार प्रदान किया जाएगा तथा वृक्ष के चारों तरफ संगमरमर के निर्माण को हटाया जाएगा जिससे कि वृक्ष की हवा में लटकती जड़ों को विकास का अवसर मिल सके।