

राजसमन्द - मेवाड वैष्णव वैरागी समाज का प्रथम सामुहिक विवाह उत्सव मेवाड के हरिद्वार कहलाने वाले पविञ मातृ कुण्डिया धाम पर आयोजित हुआ जिसमें 20 जोडे परिणय सुञ में बन्धे वही भगवान चारभुजा नाथ व तुलसी विवाह भी सम्पन्न हुआ ।
इस दौरान सर्व प्रथम वर वधुओ की सामुहिक बिनोला गाजे बाजे के साथ नगर में निकाली गई और हाल ही में जीर्णो उदार किये गये हनुमान मन्दिर पर ध्वजा दण्ड स्थापित किया गया जिसके बाद सभी दुल्हो के द्वारा सामुहिक रूप से तोरण परम्परा का निर्वाह कर विवाह वेदी पर सामुहिक रूप से मंञोच्चार के साथ विवाह कार्य सम्पन्न हुआ समाज की ओर से विवाह में प्रत्येक जोडो को घरेलु उपयोग की सामग्री सहित जेराती आभुषण भेट किये गये ।
विवाह के बाद वैष्णव समाज , बैरागी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर के वैष्णव के मुख्य अथित्य में नवनिर्मित समाज की धर्मशाला का लोकार्पण किया गया जिसके बाद मातृ कुण्डिया के 30 मई 2002 में शहिद हुये समाज के वीर पुञ जगदीश वैष्णव के स्मारक पर पुष्प अर्पित कर श्रृदान्जिली दी गई |
आपको बता देकी इस अवसर पर समाज की एक आम सभा का आयोजन हुआ जिसमें समाज में अंश माञ रही कुरितीयो को भी समाप्त करने पर जोर दिया और बाल विवाह, दहेज प्रथा व मृत्यू भोज का खुल कर मंच से विरोध दर्ज करा कर एक स्वर में अपील की गई की आगामी दिनो में इन कुरितीयो को समाप्त कर समाज को अग्र पंक्ति में खडा करने की आवश्यकता हे जिसके लिये समाज को शिक्षित होना पडेगा ।
जिसके साथ ही आर के वैष्णव ने बताया की समाज की ओर से बालिका शिक्षा को बढावा देने के लिये एक सहायता फण्ड बनाया गया हे जिसके तहत् गरिब तबके की बेटीयो को आर्थिक मदद कर शिक्षा में आगे लाने का कार्य होगा, बेटियो की शिक्षा से ही समाज की उन्नति की राह आसान बनेगी |
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